हाथरस की चुनावी आबोहवा में हींग सी खुशबू और भांति-भांति के रंग बिखरे हैं। मतदाता बेहद मुखर हैं। न अपनी दुश्वारियां बताने से हिचकते हैं और न ही अपनी पक्षधरता स्पष्ट करने से भय खाते हैं।
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हाथरस की चुनावी आबोहवा में हींग सी खुशबू और भांति-भांति के रंग बिखरे हैं। मतदाता बेहद मुखर हैं। न अपनी दुश्वारियां बताने से हिचकते हैं और न ही अपनी पक्षधरता स्पष्ट करने से भय खाते हैं।