9वीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पहला मौका था जब नीतीश कुमार को विश्वास मत के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. एकबारगी तो उनको ऐसा भी लगा होगा कि तेजस्वी यादव से 2020 के विधानसभा चुनावों जैसी टक्कर मिल रही है, और इस बार तो लालू यादव भी मौजूद थे. बहरहाल, अंत भला तो सब भला, लेकिन आगे क्या होने वाला है?
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